अनाथ बच्चों की कई समस्याएं हैं, जिन्हें समझना उनके रिश्तेदारों, अनाथालयों और गैर सरकारी संगठनों आदि के लिए बहुत जरूरी है। सरकार अनाथ बच्चों के लिए हमेशा नई नीतियां और बजट लाती है, बावजूद इसके सरकारी मदद हर अनाथ बच्चे तक नहीं पहुंच पाती है. इसका मुख्य कारण हर वह व्यक्ति है जो भ्रष्टाचार और अनाथ बच्चों के शोषण में लिप्त है।
कई अनाथ बच्चों को भीख मांगने या बाल श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो एक दंडनीय अपराध है, फिर भी भीख मांगना और बाल श्रम खुलेआम किया जाता है। इसके पीछे एक पूरा गिरोह काम करता है, पीड़ित अनाथ बच्चों को भी देश की खराब व्यवस्था पर भरोसा नहीं है, उन्हें पता है कि गिरोह या इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति उन्हें बहुत पीटेगा। पीड़ित अनाथ बच्चों को विश्वास में लेकर इस दलदल से बाहर निकालना होगा। श्रम विभाग को पीड़ित अनाथ बच्चों को गिरोह के चंगुल से छुड़ाकर अनाथालय भेज देना चाहिए।
श्रम विभाग द्वारा अनाथालय की व्यवस्था की कड़ी निगरानी की जानी चाहिए। सभी अनाथालयों की स्थिति खराब नहीं है लेकिन फिर भी सभी अनाथालयों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि अनाथ बच्चों का जीवन और करियर का मामला है। समाचार पत्रों और टेलीविजन के माध्यम से हम सभी को कुछ अनाथालय में बच्चों के यौन शोषण का मामला पढ़ने और सुनने को मिलता है जो दिल दहला देने वाला होता है।
अनाथालय में बच्चों की काउंसलिंग की जाए ताकि बच्चों की मनोस्थिति का पता चल सके। बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिए। बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अनाथालय में इन सभी का ध्यान रखा जाता है, लेकिन अनाथालय में शिक्षा, भोजन, खेल और स्वास्थ्य आदि की गुणवत्ता की भी जांच संबंधित मंत्रालय द्वारा समिति बनाकर की जानी चाहिए।
अगर आप सक्षम हैं तो आपको अनाथालयों, वृद्धाश्रमों आदि को भी दान देना चाहिए। इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं है।
नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं. उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है. लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है. वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं.
Very nice article.