हर माता-पिता को अपने बच्चे की रुचि को जानना बहुत ही जरूरी है। ऐसा करके मां-बाप न केवल अपने बच्चे का भविष्य उज्ज्वल करते हैं, बल्कि देश के विकास में भी अपना बड़ा योगदान देते हैं। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। आज भी देश के अधिकतर माता-पिता समाज में अपनी झूठी मान-प्रतिष्ठा के लिए अपने बच्चों की रुचि का ध्यान नहीं रखते हैं। वे अपने बच्चों पर 10th पास करने के बाद साइंस और कॉमर्स लेने का दवाब बनाने लगते हैं। लेकिन ऐसा करना बिल्कुल गलत है, ह्यूमैनिटीज की भी इन दोनों की तरह ही महत्वता है।

10th के बाद छात्रों की रुचि के अनुसार ही कोर्स का चयन होना चाहिए। इससे छात्र आगे चलकर अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य करेगा और देश के विकास में अपना बड़ा योगदान दे पाएगा। हमें इस तरह की सोच बिल्कुल भी नहीं रखनी चाहिए कि केवल साइंस और कॉमर्स स्ट्रीम ही सब कुछ है, ह्यूमैनिटीज का कोई महत्व ही नहीं है। अगर कोई ऐसा सोचता है, तो वो उनकी अज्ञानता है।
अक्सर देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता के दवाब में आकर कोर्स का चयन कर लेते हैं और पास भी कर जाते हैं। लेकिन वे अपने करियर में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। जिससे वे तनाव में भी आ जाते हैं। इसलिए यह हर माता-पिता कि जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों पर कोर्स के चयन को लेकर किसी भी तरह का दवाब न बनाएं। शिक्षा एक व्यक्ति के लिए बहुत ही जरूरी है। क्योंकि यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है। इसलिए बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार कोर्स का चयन कर आगे बढ़ने देना चाहिए। ताकि वे पढ़ लिखकर एक कामयाब इंसान बनें और देश की सेवा में अपना योगदान दें। एक जिम्मेदार माता-पिता का अपने बच्चों और देश के प्रति यही बड़ा कर्त्तव्य है।