आजकल हर दूसरी दुकान, मोबाइल एप और ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर सस्ती EMI का झांसा दिया जाता है। “0% EMI”, “No Cost EMI”, “Only ₹999/महीना” जैसे ऑफर देखकर ग्राहक तुरंत फाइनेंस का विकल्प चुन लेते हैं। लेकिन क्या वाकई ये EMI स्कीम सस्ती है? क्या इनके पीछे कोई चाल नहीं? इस लेख में हम इसी EMI स्कीम के असली सच को उजागर करेंगे।

EMI स्कीम का मतलब क्या है?
EMI यानी ‘इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट’। यानी कोई भी वस्तु आप एकमुश्त राशि में न खरीदकर हर महीने समान किश्तों में उसका भुगतान करते हैं। कंपनियां इसी सुविधा के नाम पर लोगों को फाइनेंस देती हैं।
EMI स्कीम में छुपे आम पैंतरे
1. प्रोसेसिंग फीस का खेल
EMI लेने पर कई बार 2-5% तक प्रोसेसिंग फीस वसूली जाती है, जो कागजों में नहीं बताई जाती।
2. नो कॉस्ट EMI का धोखा
कंपनियां ‘नो कॉस्ट EMI’ कहती हैं लेकिन प्रोडक्ट की MRP बढ़ाकर या डिस्काउंट हटाकर ग्राहक से वसूली करती हैं।
3. हिडन चार्जेज
देर से किस्त भरने पर भारी पेनल्टी, ECS रिटर्न चार्ज, अकाउंट एक्टिवेशन फीस आदि वसूली जाती है।
4. ब्याज दर का जाल
कई बार ‘सस्ती EMI’ के नाम पर 18-36% तक ब्याज वसूला जाता है, जो लोन के मुकाबले भी महंगा होता है।
EMI स्कीम से होने वाले नुकसान
- कर्ज़ का बढ़ता बोझ: एक के बाद एक EMI लेने से कुल मासिक खर्च बढ़ जाता है।
- अचानक आर्थिक संकट: नौकरी जाने या बीमारी की स्थिति में EMI भरना मुश्किल।
- क्रेडिट स्कोर पर असर: EMI न चुका पाने पर सिबिल स्कोर गिरता है।
- ब्याज में ज्यादा पैसा: 0% EMI का दावा झूठा निकले तो जरूरत से ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।
EMI लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखें?
- EMI की पूरी डिटेल लिखित में लें।
- प्रोसेसिंग फीस और हिडन चार्जेस की जानकारी लें।
- नो कॉस्ट EMI की असल MRP जांचें।
- EMI की ब्याज दर अच्छे से समझें।
- बजट और मासिक इनकम का हिसाब लगाएं।
- कर्ज़ की लिमिट न बढ़ने दें।
EMI जाल से बचने के उपाय
- ज़रूरत न हो तो EMI पर चीज़ें न लें।
- जितना कैश में अफोर्ड कर सकते हैं उतना ही खर्च करें।
- अगर EMI लेनी ही पड़े तो बैंक लोन की ब्याज दर और चार्जेस की तुलना ज़रूर करें।
- कभी भी सिर्फ एजेंट की बातों पर भरोसा न करें, डॉक्यूमेंट पढ़ें।
निष्कर्ष
सस्ती EMI स्कीम का सच यही है कि कंपनियां ग्राहकों को ‘No Cost’ और ‘0% EMI’ का लालच देकर फाइनेंस के जाल में फंसा देती हैं। इसीलिए कोई भी EMI स्कीम लेने से पहले उसकी पूरी डिटेल समझें, चार्जेस जांचें और अपनी जरूरत के मुताबिक ही फैसला लें।

नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं। उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है। लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है। वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं।