आज के डिजिटल युग में जहां तकनीक तेजी से बढ़ रही है, वहीं एक नया और खतरनाक खतरा भी सामने आ रहा है — डिजिटल डीपफेक वीडियो। ये वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से किसी इंसान का चेहरा और आवाज बदलकर नकली वीडियो तैयार कर लेते हैं, जो बिल्कुल असली जैसा लगता है।

पहले ये तकनीक सिर्फ मनोरंजन के लिए थी, लेकिन अब इसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए किया जाने लगा है, जैसे झूठी खबरें फैलाना, किसी की बदनामी करना और ऑनलाइन धोखाधड़ी करना।
डीपफेक वीडियो क्या है?
डीपफेक वीडियो वो होते हैं, जिनमें AI तकनीक से किसी व्यक्ति के चेहरे और आवाज को दूसरे व्यक्ति की तरह बना दिया जाता है। इससे वो वीडियो ऐसा लगता है कि उस व्यक्ति ने वही बातें कहीं या काम किए जो असल में उसने कभी नहीं किए।
उदाहरण के लिए, किसी मशहूर नेता का वीडियो बना देना जिसमें वो कोई गलत बयान दे रहे हों, या किसी शरीफ इंसान को किसी अपराध में शामिल दिखा देना। आजकल की तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि आम लोग असली और नकली वीडियो में फर्क नहीं कर पाते।
डीपफेक वीडियो क्यों खतरनाक हैं?
इस तकनीक का गलत इस्तेमाल कई बड़े खतरे खड़े कर सकता है:
- झूठी खबरें और अफवाहें फैलाना।
- किसी की इज्जत खराब करना।
- ऑनलाइन बदमाशी और ब्लैकमेल।
- धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा।
- देश की सुरक्षा के लिए खतरा।
डीपफेक वीडियो को कैसे पहचानें?
हालांकि इन वीडियो को पहचानना मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन कुछ संकेतों से आप सतर्क हो सकते हैं:
- पलक झपकाने का अस्वाभाविक तरीका।
- आवाज और होंठों की हरकत में मेल न होना।
- चेहरे के चारों ओर धुंधलापन।
- रौशनी और स्किन टोन का अलग होना।
- आंखों या चश्मे में रिफ्लेक्शन का न दिखना।
कैसे रहें सुरक्षित
- किसी भी सनसनीखेज वीडियो को शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई जांचें।
- रिवर्स इमेज सर्च या वीडियो सर्च का इस्तेमाल करें।
- बिना पुष्टि किए वीडियो फॉरवर्ड न करें।
- साइबर जागरूकता अभियानों में हिस्सा लें।
- संदिग्ध वीडियो को प्रशासन या साइबर सेल को रिपोर्ट करें।
निष्कर्ष
डीपफेक वीडियो एक नया डिजिटल खतरा है, जिससे व्यक्ति, समाज और देश तक को नुकसान हो सकता है। एक जिम्मेदार नागरिक की तरह हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। याद रखें — देखें, सोचें और फिर भरोसा करें।

नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं। उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है। लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है। वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं।