बीमा एक ऐसी सुविधा है, जो अनिश्चित भविष्य की परिस्थितियों से सुरक्षा देने का वादा करती है। जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा या वाहन बीमा — सभी का मकसद यही है कि किसी अनहोनी की स्थिति में आर्थिक सहारा मिले। लेकिन, बीमा एजेंट अक्सर सिर्फ फायदे गिनाते हैं और पॉलिसी की बारीक शर्तों को जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इन्हीं दस्तावेजों के ‘फाइन प्रिंट’ में ऐसे नियम छुपे होते हैं, जो समय आने पर आपके क्लेम को खारिज कर सकते हैं।

इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि बीमा कंपनियां किन पैंतरों से फाइन प्रिंट में ग्राहक को फंसाती हैं और इनसे बचने के क्या उपाय हैं।
फाइन प्रिंट क्या होता है?
बीमा पॉलिसी में नीचे या छोटे अक्षरों में लिखे हुए वो नियम व शर्तें, जिन्हें सामान्य ग्राहक अक्सर पढ़ते नहीं, उन्हें ‘फाइन प्रिंट’ कहा जाता है। इनमें लिखा होता है:
- किन परिस्थितियों में बीमा अमान्य हो जाएगा
- क्लेम रिजेक्शन के आधार
- प्रीमियम बढ़ाने की शर्तें
- पॉलिसी लैप्स व ग्रेस पीरियड के नियम
बीमा धोखाधड़ी के सामान्य तरीके
1. अधूरी जानकारी देकर पॉलिसी बेचना
एजेंट पॉलिसी के फायदे तो बताते हैं, लेकिन जरूरी शर्तें छुपा लेते हैं।
2. क्लेम रिजेक्शन के बहाने
बीमा कंपनियां कभी प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी या नियम की आड़ में क्लेम खारिज कर देती हैं।
3. लैप्स और ग्रेस पीरियड की जानकारी छुपाना
पॉलिसी लैप्स की सूचना देर से देना या ग्रेस पीरियड की अस्पष्ट शर्तें रखना।
4. सरेंडर चार्ज की जानकारी छुपाना
अगर ग्राहक पॉलिसी समय से पहले बंद करे तो भारी सरेंडर चार्ज ले लेना।
5. बोनस व गारंटीड रिटर्न का भ्रम देना
पॉलिसी में बोनस या निश्चित रिटर्न का वादा कर, बाद में फाइन प्रिंट में ‘बाजार जोखिम के अधीन’ बता देना।
स्वास्थ्य बीमा की छुपी शर्तें
- इलाज की लिमिट: कई सर्जरी या ट्रीटमेंट पर खर्च की सीमा।
- रूम रेंट कैपिंग: अस्पताल के रूम का किराया तय सीमा से ज़्यादा हुआ तो बिल का बड़ा हिस्सा ग्राहक देगा।
- क्लेम कैप: इलाज की अधिकतम राशि तय।
- वेटिंग पीरियड: कुछ बीमारियां 2-4 साल तक कवर नहीं।
जीवन बीमा की चालाकियां
- सुसाइड क्लॉज: पहले साल आत्महत्या पर कोई क्लेम नहीं।
- राइडर शर्तें: एक्स्ट्रा कवर में कई छूटें।
- प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज: पहले से बीमारी छुपी तो क्लेम खारिज।
मोटर बीमा में धोखा
- डिप्रिशिएशन क्लॉज: पुराने पार्ट की कीमत घटा दी जाती है।
- नो क्लेम बोनस: बिना क्लेम के बोनस वादा, लेकिन फाइन प्रिंट में कटौती की शर्तें।
बचाव के उपाय
- हर पॉलिसी बारीकी से पढ़ें।
- क्लेम रिजेक्शन की शर्तें जानें।
- हर वादा लिखित में लें।
- ग्रेस पीरियड और लैप्स नियम समझें।
- सरेंडर चार्ज पता करें।
- स्मार्ट सवाल पूछें: राइडर, बोनस, रूम रेंट लिमिट जैसी शर्तें पूछें।
- IRDAI की वेबसाइट पर रिव्यू देखें।
निष्कर्ष
बीमा तभी उपयोगी है जब उसकी हर शर्त स्पष्ट हो। फाइन प्रिंट में छिपी बातों को अनदेखा करने की गलती न करें। दस्तावेज़ पर साइन करने से पहले हर लाइन, हर नियम पढ़ें। जागरूक रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।

नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं। उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है। लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है। वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं।