ऑस्ट्रेलिया अपनी अनूठी समुद्री तटरेखा, ग्रेट बैरियर रीफ और दुर्लभ वन्यजीवों के लिए तो विख्यात है ही, साथ ही यहाँ की वाइल्डलाइफ़ रेस्क्यू संस्कृति पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। यह देश अक्सर झाड़ियों में लगने वाली आग, पर्यावरणीय संकट और मानव विस्तार जैसी चुनौतियों का सामना करता है। इसके बावजूद यहां के नागरिकों और संस्थानों ने वन्यजीवों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए बेहद सशक्त और संगठित व्यवस्था विकसित की है।

समुद्री सील्स को तटीय फँसाव से छुड़ाना हो या आग में झुलसे कोआला का इलाज — ऑस्ट्रेलिया ने मानव और वन्यजीव के सह-अस्तित्व का बेहतरीन मॉडल तैयार किया है। इस लेख में हम इसी संस्कृति की गहराई से जानकारी लेंगे और जानेंगे कि बाकी देश इससे क्या-क्या सीख सकते हैं।
1️⃣ सामुदायिक नेतृत्व वाले समुद्री बचाव अभियान
ऑस्ट्रेलिया की तटरेखा 25,000 किलोमीटर से भी अधिक लंबी है। यहाँ समुद्री जीवों जैसे डॉल्फ़िन, सील्स, कछुए और व्हेल के घायल या फँस जाने की घटनाएँ आम हैं। कभी मछली पकड़ने के जाल में उलझना, तो कभी प्लास्टिक कचरे में फँसना — ऐसे संकटों में ऑस्ट्रेलिया की जागरूक और संगठित सामुदायिक व्यवस्था अहम भूमिका निभाती है।
स्थानीय निवासी, पर्यटक और मछुआरे हॉटलाइन, मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से रिपोर्ट करते हैं। प्रशिक्षित स्वयंसेवक और बचाव दल घटनास्थल पर पहुँचकर जानवरों को सुरक्षित निकालते हैं। ORRCA जैसी संस्थाएं स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देकर उन्हें भी बचाव कार्यों में शामिल करती हैं।
दुनिया के लिए सीख: अगर हर देश अपने तटीय इलाकों में ऐसे सामुदायिक तंत्र बनाए, तो सैकड़ों समुद्री जीवों की जान बचाई जा सकती है और समुद्री जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सकता है।
2️⃣ कोआला अस्पताल और बुशफायर आपातकालीन सेवा
ऑस्ट्रेलिया में झाड़ियों में आग लगना आम बात है। विशेष रूप से 2019-20 के ‘ब्लैक समर’ बुशफायर के दौरान हजारों वन्यजीवों की जान गई और कई घायल भी हुए। पेड़ों में रहने वाले कोआला इस आपदा से सबसे अधिक प्रभावित प्रजातियों में शामिल थे।
इस संकट में पोर्ट मैक्वारी कोआला हॉस्पिटल जैसे विशेष केंद्र जान बचाने वाली भूमिका में रहे। यहाँ पर जलने के घावों का इलाज, पुनर्वास केंद्र, रिकवरी ज़ोन और वेटरनरी इकाइयाँ मौजूद हैं। स्थानीय लोग भी स्वयंसेवक बनकर कोआला के लिए शरण स्थल और भोजन की व्यवस्था करते हैं।
दुनिया के लिए सीख: संकट के समय वन्यजीव अस्पताल और समुदाय आधारित फंडिंग त्वरित राहत के लिए अनिवार्य हैं। बाकी देश भी इस मॉडल को अपना सकते हैं।
3️⃣ संगठित वाइल्डलाइफ़ रेस्क्यू नेटवर्क
ऑस्ट्रेलिया की वाइल्डलाइफ़ बचाव संस्कृति की असली ताकत है — इसका संगठित और संरचित नेटवर्क। WIRES और Wildlife Victoria जैसी संस्थाएं 24×7 हॉटलाइन और प्रशिक्षित बचावकर्मियों के ज़रिए घायल जानवरों की मदद करती हैं।
सर्प, कंगारू, पक्षियों और अन्य प्रजातियों के सुरक्षित रेस्क्यू के लिए स्वयंसेवकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही, सार्वजनिक जागरूकता अभियान भी नियमित रूप से चलाए जाते हैं।
दुनिया के लिए सीख: अगर देश में स्वयंसेवक आधारित नेटवर्क बने, तो वन्यजीव संरक्षण की पहुंच और क्षमता कई गुना बढ़ सकती है।
4️⃣ वाइल्डलाइफ़-फ्रेंडली शहर नियोजन
ऑस्ट्रेलिया के कई शहर अब वन्यजीव गलियारों, सुरक्षित क्रॉसिंग और हरित क्षेत्रों को अपने शहरी नियोजन में शामिल कर रहे हैं। कोआला के लिए ओवरपास, वालाबी के लिए अंडरपास और दुर्लभ पक्षियों के लिए सुरक्षित नेस्टिंग ज़ोन बनाए जा रहे हैं।
दुनिया के लिए सीख: आधुनिक शहरों को शहरी नियोजन में वन्यजीवों के लिए संरक्षित ज़ोन और सुरक्षित मार्ग शामिल करना चाहिए। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष कम होगा।
5️⃣ पब्लिक एजुकेशन और स्कूल प्रोग्राम
ऑस्ट्रेलिया में वन्यजीव संरक्षण की जागरूकता बचपन से शुरू होती है। स्कूलों में बच्चों को देश की प्रजातियों, जिम्मेदार पालतू पशु-पालन और पर्यावरण सुरक्षा की शिक्षा दी जाती है। सामुदायिक वाइल्डलाइफ़ वॉक और बीच-क्लीनअप प्रोग्राम आम बात हैं।
दुनिया के लिए सीख: अगर बचपन से ही बच्चों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित की जाए, तो भविष्य में एक जागरूक समाज बनता है।
6️⃣ इको-टूरिज्म और संरक्षण फंडिंग
ऑस्ट्रेलिया में इको-टूरिज्म का विशेष महत्व है। यहां आने वाले सैलानियों को जानवरों की जीवनशैली, व्यवहार और संरक्षण उपायों के प्रति जागरूक किया जाता है। Lone Pine Koala Sanctuary सहित कई संस्थान पशु कल्याण के निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन करते हैं।
इको-टूरिज्म से मिलने वाली फंडिंग सीधे संरक्षण और बचाव अभियानों में लगाई जाती है।
दुनिया के लिए सीख: जिम्मेदार पर्यटन से न केवल संरक्षण फंड मिलता है, बल्कि पर्यटकों में भी प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता आती है।
7️⃣ मानसिक स्वास्थ्य और वाइल्डलाइफ़ सेवा
शोध बताते हैं कि वन्यजीव रेस्क्यू और पुनर्वास में शामिल होना मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। स्वयंसेवकों ने तनाव, चिंता और अवसाद में कमी महसूस की है और एक सार्थक उद्देश्य का अहसास हुआ है।
दुनिया के लिए सीख: वन्यजीव संरक्षण में नागरिकों को जोड़ने से न सिर्फ पशु हित सुरक्षित होते हैं, बल्कि सामुदायिक बंधन और मानसिक सुख भी बढ़ता है।
निष्कर्ष
ऑस्ट्रेलिया की वाइल्डलाइफ़ रेस्क्यू संस्कृति सिर्फ जानवरों को बचाने का काम नहीं करती, बल्कि यह मानव और प्रकृति के बीच सह-अस्तित्व का जीवंत मॉडल है। कोआला अस्पताल से लेकर समुद्री रेस्क्यू ऑपरेशन तक और सामुदायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लेकर जागरूकता अभियानों तक — ऑस्ट्रेलिया ने एक दयालु और प्रगतिशील व्यवस्था खड़ी की है।
मुख्य सीख:
वन्यजीव संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। जब नागरिक, संस्थाएं और प्रशासन मिलकर काम करें, तो समाज न सिर्फ संवेदनशील बनता है बल्कि मजबूत भी।

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