देशभक्ति शब्द सुनते ही हमारे मन में तिरंगे झंडे, देशभक्ति के गाने, सैनिक परेड और देश के लिए जान देने वाले वीर सपूतों की तस्वीर उभर आती है। लेकिन क्या देशभक्ति का अर्थ केवल झंडा लहराना, नारे लगाना और तिरंगे की फोटो फेसबुक-व्हाट्सऐप पर लगाना भर है? क्या यह केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी तक सीमित एक भाव है? नहीं। देशभक्ति इससे कहीं व्यापक और गहराई से जुड़ी हुई जिम्मेदारी है। और सबसे बड़ी देशभक्ति है — ईमानदारी से अपना काम करना।

देशभक्ति का सही अर्थ
देशभक्ति का शाब्दिक अर्थ है — अपने देश के प्रति सच्ची निष्ठा और समर्पण। यह केवल युद्धभूमि में लड़ना नहीं, बल्कि हर नागरिक का अपने कर्तव्य को निष्ठा से निभाना भी देशभक्ति है। एक अध्यापक का ईमानदारी से बच्चों को पढ़ाना, एक डॉक्टर का मरीज का सही इलाज करना, एक किसान का मेहनत से फसल उगाना, एक सरकारी कर्मचारी का रिश्वत न लेकर जनता की सेवा करना — यही असली देशभक्ति है।
जब देशभक्ति सिर्फ दिखावा बन जाती है
आज के समय में बहुत से लोग देशभक्ति को सिर्फ नारों और दिखावे तक सीमित कर चुके हैं। 15 अगस्त और 26 जनवरी पर सोशल मीडिया पर देशभक्ति की पोस्ट लगाना, झंडा लहराना और भाषण देना — ये सब तभी तक अच्छा है जब उसका पालन सालभर के व्यवहार में भी दिखे। अगर वही व्यक्ति रोज रिश्वत लेकर फाइल पास करे या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए, तो उसका देशभक्ति का दावा खोखला है।
ईमानदारी से काम करना क्यों है असली देश सेवा?
जब हर नागरिक अपने-अपने क्षेत्र में ईमानदारी से काम करेगा, तो देश की व्यवस्था स्वतः सुदृढ़ हो जाएगी। जब कोई सरकारी कर्मचारी बिना रिश्वत के काम करेगा, तो गरीब का हक नहीं छीना जाएगा। जब दुकानदार सही तौल और दाम पर सामान बेचेगा, तो उपभोक्ता का शोषण नहीं होगा। जब डॉक्टर बिना लालच के इलाज करेगा, तो गरीब भी जीवनदान पाएगा। यही असली देश सेवा है।
उदाहरण
भारत में कई सरकारी योजनाएँ गरीबों, वृद्धों और असहायों के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन कई बार सक्षम लोग फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर उन योजनाओं का लाभ ले लेते हैं। इससे जिनके लिए ये योजनाएँ बनी हैं, वे वंचित रह जाते हैं। अगर हर नागरिक ईमानदारी से काम करे और अपनी पात्रता के अनुसार ही योजनाओं का लाभ ले, तो देश का विकास निश्चित है।
घर से शुरू करें सुधार
देश सुधारने की शुरुआत हमें अपने घर और अपने आचरण से करनी चाहिए। अगर हम घर में बच्चों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाएँगे, खुद नियम-कानून का पालन करेंगे, तो अगली पीढ़ी भी वही सीखेगी। एक ईमानदार समाज ही एक मजबूत देश की नींव रखता है।
देशभक्ति हर दिन, हर काम में
देशभक्ति का मतलब केवल सीमा पर दुश्मन से लड़ना नहीं है। यह हर दिन, हर क्षण, हर काम में झलकनी चाहिए। सड़क पर कूड़ा न फेंकना, ट्रैफिक नियम मानना, समय पर कर देना, सरकारी संपत्ति का संरक्षण करना — ये सब देशभक्ति के ही रूप हैं।
निष्कर्ष
देशभक्ति सिर्फ उत्सवों और नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। असली देशभक्ति है — ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाना। अगर हर भारतीय ईमानदारी से अपना काम करने लगे, तो देश से गरीबी, भेदभाव, भ्रष्टाचार और अन्याय स्वतः समाप्त हो जाएगा। आइए, हम सब मिलकर इस सच्ची देशभक्ति का संकल्प लें।

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