निरक्षरता को दूर करने के लिए सरकार प्रयासरत है। सरकार ने मिड डे मील योजना की शुरुआत कर स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाई। सरकार समय-समय पर गांव में शिक्षा के महत्व को लेकर जागरूकता अभियान चलाती रहती है। सरकार जरूरतमंद बच्चों को छात्रवृत्ति, मुफ्त यूनिफॉर्म और किताबें देकर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करती है।
सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद लाखों बच्चे गरीबी के कारण अनपढ़ हैं, बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं। उनसे उनका बचपन छीन लिया जाता है। बाल श्रम एक अपराध है, फिर भी आप उन्हें अपने आसपास दुकानों, सड़कों आदि में बाल श्रम करते हुए आसानी से देख सकते हैं। जब आम आदमी उन्हें बाल श्रम करते देख सकता है तो संबंधित सरकारी अधिकारी ऐसे बच्चों की सूची बनाकर उनकी मदद क्यों नहीं करते हैं।
सरकार को संबंधित सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी होगी, तभी निरक्षरता पर काबू पाया जा सकता है।
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने सपनों को अपने बच्चों पर न थोपें, अगर कोई बच्चा पढ़ाई में थोड़ा कमजोर है तो उसे शिक्षा का महत्व बताना चाहिए और उसे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए कहना चाहिए। ऐसा नहीं है कि उस पर अपनी कक्षा में प्रथम आने का दबाव डाला जाए।
बच्चा पढ़ाई से ज्यादा खेल, नृत्य आदि में अव्वल हो सकता है, इसलिए बच्चे की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे पूरा सहयोग देना चाहिए। लेकिन बच्चों को भी अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिससे व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
किसी भी देश की साक्षरता दर जितनी अधिक होगी, वह देश उतना ही अधिक विकसित होगा। इसके नागरिक उतने ही समृद्ध होंगे। क्योंकि उनके पास अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए शिक्षा होगी। ऐसा देश हमेशा आगे बढ़ता रहता है। साक्षरता गरीबी, बेरोजगारी आदि जैसी विकट समस्याओं का समाधान भी करने लगती है।
नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं. उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है. लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है. वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं.