समाज से अंधविश्वास को कैसे दूर करें।

अंधविश्वास समाज के लिए एक बड़ा खतरा है, जिसने शिक्षित से लेकर अशिक्षित व्यक्ति तक कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। जागरूकता से ही अंधविश्वास को दूर किया जा सकता है।

समाज से अंधविश्वास को कैसे दूर करें।

दुनिया में कोई भी व्यक्ति गर्भ से ज्ञान सीखकर नहीं आता है। वह जन्म के बाद सीखना शुरू करता है, और जीवन भर सीखना जारी रखता है। सीखने के चक्र में उसे कई गलतियों का भी सामना करना पड़ता है, हर व्यक्ति अपने जीवन में कोई न कोई गलती करता है, जिसे सुधार कर वह सीखता है। वे भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें मार्गदर्शक के रूप में अनुभवी माता-पिता और अनुभवी गुरु मिलते हैं, जो उन्हें शुरू से ही अंधविश्वास से दूर रहने की शिक्षा देने लगते हैं। यहां मेरा मतलब अनुभवी माता-पिता और गुरुओं से है जिन्होंने अपने जीवन में गलतियों से सीखा और जीवन में अपने बच्चों और शिष्यों के अनुभवी मार्गदर्शक बने।

हमें आस्था और अंधविश्वास के बीच के अंतर को समझना होगा। अगर कोई कहता है कि आपने भगवान की पूजा नहीं की या उसका प्रचार नहीं किया, तो आपके साथ अच्छा नहीं होगा या आपको बुरी खबर सुनने को मिलेगी, यह सब अंधविश्वास है। भगवान कभी नहीं कहते कि तुम मेरी पूजा करो तभी तुम्हारा भला होगा। आजकल लोग व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी इस तरह के मैसेज भेजकर लोगों को भ्रमित करते हैं। कई लोग इतने डर जाते हैं कि वे उस मैसेज को मैसेज के मुताबिक 10 लोगों को फॉरवर्ड कर देते हैं।

डर किसी समस्या का समाधान नहीं है, समस्या का डटकर सामना करने से ही समस्या का समाधान हो सकता है, अंधविश्वास से नहीं। न जाने कितने लोग अंधविश्वास के शिकार हुए हैं और हो रहे हैं, ये हम सभी को इतिहास की किताबों और अखबारों में पढ़ने को मिलते हैं। जैसा कि मैंने अपने पहले पैराग्राफ में बताया कि हर इंसान अपनी गलतियों से सीखता है, इसलिए हमें डरे हुए व्यक्ति का मजाक न उड़ाकर उसका मार्गदर्शन करना चाहिए, ताकि उसका शोषण न हो। धर्म के नाम पर दुकान चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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