भारत में आय असमानता

आय असमानता भारत की सबसे बड़ी समस्या है, जो गरीबों को अधिक गरीब और अमीर को अधिक अमीर बनाती है। जहां गरीबों को रोजी-रोटी कमाने के लिए दिन भर पसीना बहाना पड़ता है, वहीं अमीर और अमीर होते जा रहे हैं। ऑक्सफैम(Oxfam) की जनवरी-2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 1% सबसे अमीर लोगों के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है।


सरकार को जल्द से जल्द योजना बनाकर इस बड़ी समस्या का समाधान करना चाहिए, ताकि गरीबी और अमीरी का भेदभाव समाप्त हो, सभी को बिना किसी परेशानी के स्वास्थ्य सेवा आदि मिल सके।


हमारे देश की खराब व्यवस्था आय असमानता का प्रमुख कारण है, जहां न्याय के लिए लाखों मामले अदालत में लंबित हैं, जब न्याय दिया जाता है, तब तक इसका महत्व खत्म हो जाता है।

भारत में आय असमानता

लाखों दीवानी मामलों(Civil cases) को अदालत से बाहर सुलझाया जा सकता था और अदालत का कीमती समय भी बचाया जा सकता था, लेकिन हमारी खराब व्यवस्था के कारण, संबंधित ग्रीवेंस रेड्रेसल सेल में मामलों का समाधान पूरी तरह से नहीं किया जा सकता है और शिकायतकर्ता को न्याय के लिए अदालत में याचिका दायर करने की आवश्यकता होती है। ग्रीवेंस रेड्रेसल सेल क्या है?


सरकार द्वारा सभी सरकारी और गैर-सरकारी विभागों में ईमानदारी से कानून बनाकर और सख्ती से पालन करके आय असमानता को नियंत्रित किया जा सकता है। किसी भी सरकारी अधिकारी की लापरवाही लोगों के जीवन, नौकरी और किसी भी महत्वपूर्ण चीज को नुकसान पहुंचा सकती है। जानबूझकर की गई लापरवाही और भ्रष्टाचार को नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए, दोषियों के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई की जानी चाहिए।


किसी भी पीएसयू का निजीकरण करके न तो आय असमानता को नियंत्रित किया जा सकता है और न ही अर्थव्यवस्था का विकास, लेकिन सरकार द्वारा कानून का सख्ती से पालन करके पीएसयू की उत्पादकता में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था का विकास किया जा सकता है। भारत में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के रोजगार में बहुत अंतर है, मैं सरकारी और निजी क्षेत्र में अपने कार्य अनुभव से आय असमानता में भारी प्रभाव के बारे में विस्तार से बताने जा रहा हूं। भारत में सरकारी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों का रोजगार निजी क्षेत्र की तुलना में अधिक सुरक्षित है।

 
भारत में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारियों के रोजगार में हमेशा खतरा बना रहता है, ज्यादातर प्राइवेट कंपनी बिना नोटिस पीरियड दिए कर्मचारी को नौकरी से निकाल देती है, ज्यादातर नामी प्राइवेट कंपनी भी 2-3 महीने का नोटिस पीरियड दे कर नौकरी से निकाल देती है। निजी कर्मचारी द्वारा मामला श्रम मंत्रालय से लेकर अदालत तक जाता है, और अपने परिवार की रोटी चलाने के लिए उसे कंपनी के एमडी द्वारा बनाए गए पर्सनल लॉ को अपनाकर एक नई निजी कंपनी में काम करना पड़ता है, जो कि भारत में आय की असमानता का बहुत बड़ा कारण हैI


सरकार को निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के रोजगार की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाकर आय असमानता को भी नियंत्रित करना चाहिए। तभी देश का विकास होगा।

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