बेटी बचाओ।

बेटी भगवान का बहुत ही प्यारा आशीर्वाद है, लेकिन आज के युग में भी कई लोग उसे एक अभिशाप, बोझ और शादी के बाद भविष्य में एक अजनबी के परिवार का सदस्य मानते हैं।

लड़कियाँ हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं, अंतरिक्ष से लेकर जमीनी स्तर तक अपनी सेवाएं दे रही हैं, कल्पना चावला, किरण बेदी आदि इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। महिलाओं के योगदान के बिना कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता।

आज हमें खबरों से कन्या भ्रूण हत्या के बारे में पता चलता है, लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ा अपराध है, फिर भी कुछ लोग लड़के की चाह में ये अपराध करते हैं। इस प्रकार के लोग मनुष्य नहीं, पापी, क्रूर और स्वार्थी होते हैं।

बेटी बचाओ।

भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान शुरू किया। कई एनजीओ और संगठन भी इस अभियान को आगे बढ़ाने और जागरूकता फैलाने में लगे हुए हैं। इस अभियान का नाम है “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अर्थात “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”

हमने होम शेल्टर के संस्थापक द्वारा बिहार में अनाथ लड़कियों के साथ बलात्कार की खबर भी देखी। सरकार को समय-समय पर अनाथालय में रहने वाली बच्चियों की सुरक्षा की भी निगरानी करनी चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के अपने साथ हो रहे शोषण के बारे में बता सकें।

एक इंसान और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपने आस-पास हो रही कन्या भ्रूण हत्या के लिए आवाज उठाएं और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें कि कोई उन्हें गर्भपात के लिए मजबूर न कर सके, इसे रोकने के लिए महिलाएं महिला आयोग में शिकायत कर सकती हैं। महिला सुरक्षा के लिए कृपया मेरा पिछला ब्लॉग पढ़ें-महिला सुरक्षा क्या है?


लड़कियों की सबसे बड़ी ताकत उनकी शिक्षा है, किसी भी लड़की को शिक्षा से वंचित करना उसके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के बराबर है।


भारत में ऐसे कई राज्य हैं जहां बेटी के जन्म का मतलब उसकी शादी पर भविष्य में लाखों रुपये के दहेज की जिम्मेदारी है। बेटियों को अच्छी शिक्षा देकर इस प्रथा को समाप्त किया जा सकता है।