माइक्रोप्लास्टिक का अदृश्य हमला: कैसे हमारी थाली, पानी और सांसों में घुल रहा है मौत का साइलेंट जहर

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में प्रदूषण ने कई ऐसे रूप ले लिए हैं, जो नजर भी नहीं आते। ऐसा ही एक खतरनाक रूप है माइक्रोप्लास्टिक्स का। ये बेहद बारीक प्लास्टिक कण होते हैं, जो हमारे वातावरण, खाने-पीने की चीजों और यहां तक कि हमारी सांसों के साथ हमारे शरीर में भी प्रवेश कर चुके हैं।

अक्सर हम प्लास्टिक कचरे की समस्या पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन माइक्रोप्लास्टिक्स के खतरों से अनजान रहते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक का अदृश्य हमला: कैसे हमारी थाली, पानी और सांसों में घुल रहा है मौत का साइलेंट जहर

माइक्रोप्लास्टिक्स क्या होते हैं?

माइक्रोप्लास्टिक्स वे प्लास्टिक के कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी छोटा होता है। ये दो प्रकार के होते हैं:

प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स: जिन्हें जानबूझकर कॉस्मेटिक्स, टूथपेस्ट और औद्योगिक उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है।

द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक्स: जो बड़े प्लास्टिक उत्पादों जैसे बोतलें, बैग्स और जाल आदि के टूटने पर बनते हैं।

कैसे हमारे शरीर में पहुँच रहे हैं माइक्रोप्लास्टिक्स?

माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे जीवन के हर हिस्से में घुल-मिल गए हैं:

पेयजल: रिसर्च बताती है कि बोतलबंद और नल का पानी दोनों में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर व्यक्ति हफ्ते में लगभग 5 ग्राम प्लास्टिक खा रहा है — जो एक क्रेडिट कार्ड के बराबर है।

समुद्री भोजन: मछलियां और झींगे माइक्रोप्लास्टिक्स को निगलते हैं, और फिर वही हमारे खाने में पहुंचता है।

सांस के ज़रिए: घर और बाहर दोनों जगह हवा में भी माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद होते हैं, जिन्हें हम अनजाने में सांस के साथ अंदर लेते हैं।

फूड पैकेजिंग: प्लास्टिक के कंटेनर में रखी और गर्म की गई चीजों में भी ये घुल जाते हैं।

स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक्स के खतरे

हालांकि इसकी दीर्घकालिक स्टडी अभी जारी है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स काफी चिंताजनक हैं:

सूजन और अंगों को नुकसान: शरीर के अंदर पहुंचकर ये सूजन पैदा कर सकते हैं।

हार्मोनल असंतुलन: प्लास्टिक में मौजूद रसायन हार्मोन की तरह काम कर शरीर की प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं।

पाचन और सांस संबंधी समस्याएं: ये फेफड़ों और आंतों में जमा होकर परेशानी बढ़ा सकते हैं।

कैंसर का खतरा: कुछ प्लास्टिक रसायन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक्स से बचाव के उपाय

पूरी तरह बच पाना मुश्किल है, लेकिन इन आसान उपायों से जोखिम कम किया जा सकता है:

  • बोतलबंद पानी की जगह फ़िल्टर किया पानी पिएं।
  • सिंथेटिक कपड़ों की जगह प्राकृतिक कपड़े अपनाएं।
  • माइक्रोबीड वाले कॉस्मेटिक उत्पादों से बचें।
  • ग्लास, स्टील या पेपर पैकिंग का इस्तेमाल करें।
  • स्थानीय और पर्यावरण हितैषी ब्रांड्स को समर्थन दें।
  • परिवार और समाज में जागरूकता फैलाएं।

दुनिया क्या कर रही है?

दुनिया भर की सरकारें और संस्थाएं अब चेतने लगी हैं:

  • कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में माइक्रोबीड्स पर बैन।
  • पुनर्चक्रण और प्लास्टिक प्रबंधन पर जोर।
  • सोशल मीडिया और कैम्पेन से जागरूकता।

लेकिन जब तक आम नागरिक जागरूक नहीं होंगे, ये अदृश्य ख़तरा कम नहीं होगा।

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