सस्ते कपड़ों की भारी कीमत: कैसे फास्ट फैशन बना रहा है पर्यावरण का दुश्मन

आज के समय में फैशन ट्रेंड्स तेजी से बदल रहे हैं। सस्ते और ट्रेंडी कपड़ों का क्रेज इतना बढ़ गया है कि इससे एक अरबों की इंडस्ट्री खड़ी हो गई है। लेकिन इस चमक के पीछे छिपा है एक खतरनाक सच, जो हमारे पर्यावरण को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रहा है।

सस्ते कपड़ों की भारी कीमत: कैसे फास्ट फैशन बना रहा है पर्यावरण का दुश्मन

फास्ट फैशन क्या है?

फास्ट फैशन का मतलब है ऐसे कपड़े जो तेजी से फैशन ट्रेंड्स के मुताबिक बनाए और सस्ते दामों पर बेचे जाते हैं। इससे उपभोक्ता तो खुश होते हैं, लेकिन पर्यावरण और मानवता को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

पर्यावरण पर असर:

  • दुनिया भर के कुल कार्बन उत्सर्जन का 10% फास्ट फैशन से होता है।
  • हर साल 92 मिलियन टन कपड़ों का कचरा निकलता है।
  • पॉलिएस्टर जैसे सिंथेटिक फैब्रिक को सड़ने में 200 साल लग जाते हैं।

मानव शोषण:

सस्ते कपड़े बनाने के लिए कंपनियां विकासशील देशों में मजदूरों से कम पैसे में काम कराती हैं। इन मजदूरों को बेहद खराब हालात में, कम वेतन और स्वास्थ्य जोखिमों के बीच काम करना पड़ता है।

समस्या क्यों है:

आज लोग जरूरत से ज़्यादा कपड़े खरीदते हैं और उन्हें कुछ ही बार पहन कर फेंक देते हैं। इससे न केवल कचरा बढ़ता है बल्कि कार्बन उत्सर्जन भी होता है।

सस्टेनेबल फैशन क्या है?

सस्टेनेबल फैशन का मतलब है ऐसे कपड़ों का निर्माण करना जो पर्यावरण के अनुकूल हों, नैतिकता के साथ बनाए जाएं और सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हों। इसमें क्वालिटी को प्राथमिकता दी जाती है।

आप क्या कर सकते हैं:

  • टिकाऊ और बेहतर क्वालिटी वाले कपड़े खरीदें।
  • इको-फ्रेंडली और एथिकल ब्रांड्स को सपोर्ट करें।
  • पुराने कपड़ों को दान करें या रीसायकल करें।
  • फास्ट फैशन के नुकसान के बारे में जानकारी फैलाएं।

निष्कर्ष:

सस्ते और ट्रेंडी कपड़े भले ही दिखने में अच्छे लगें, लेकिन उनके कारण पर्यावरण और मानवता को भारी नुकसान हो रहा है। अगर हम जागरूक होकर फैसले लें तो इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।

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