डिजिटल युग में स्कैमर्स ने भी डिजिटल ज्ञान लेकर खुद को डिजिटल एक्सपर्ट के रूप में अपग्रेड किया है, स्कैमर्स पर्सनल डेटा चुराते हैं और पैसे ठगते हैं फर्जी ईमेल के जरिए।
हर दिन लाखों लोग फर्जी ईमेल के जाल में फंस जाते हैं, जिसे पढ़कर लोगों को पता भी नहीं चलता कि जो ईमेल वे पढ़ रहे हैं, वह फर्जी है। वे जालसाजों के झांसे में आकर अपना आर्थिक नुकसान करवा लेते हैं।
पता करें कि ईमेल फर्जी है या नहीं। जब भी किसी कंपनी या शिक्षण संस्थान आदि से मेल आता है तो आप सबसे पहले उसकी ग्रामर की गलतियों और फोन नंबर से फर्स्ट स्टेज का पता लगा सकते हैं। आपको उस ईमेल का जवाब देने से पहले मूल कंपनी की वेबसाइट पर खोज कर विवरण सत्यापित करना चाहिए। अगर मेल फर्जी निकला तो एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उस ईमेल को साइबर क्राइम पुलिस को फॉरवर्ड करना चाहिए।
अब हम सबसे महत्वपूर्ण जानकारी जानेंगे। जब किसी कंपनी के नाम से कोई ईमेल आए तो ईमेल को चेक कर लेना चाहिए। फिर कंपनी की वेबसाइट पर जाकर कंपनी का डोमेन चेक करना चाहिए। यदि ईमेल कंपनी के डोमेन से मेल नहीं खाता है, तो जवाब देने से पहले उस कंपनी के ईमेल की प्रामाणिकता की पुष्टि कर लें।
कई बार स्कैमर्स फर्जी ईमेल में किसी कंपनी के ईमेल को अपने नाम के कॉलम में सेव कर लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम करते हैं. जब भी आप ईमेल के नाम पर क्लिक करेंगे, मूल ईमेल दिखाई देगी। जिससे फर्जी ईमेल के नाम वाले कॉलम में कंपनी के ईमेल के इस्तेमाल का पता चल जाएगा।
नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं. उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है. लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है. वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं.