निजीकरण सरकार की आर्थिक समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि अपनी जिम्मेदारी को दरकिनार कर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सरकार जानबूझकर उद्योगपतियों को लाभ दे रही है। भारतीय आर्थिक सलाहकार दल द्वारा सरकार के सामने जो भी डेटा रखा जाता है, उस आर्थिक समस्या को हल करने के लिए सरकार आर्थिक सलाहकारों से सलाह लेती है और अगर सरकार को सलाह सही लगती है या कुछ सुधार की आवश्यकता होती है, तो सरकार उसमें सुधार करती है और नीति को लागू करती है। सरकार वर्तमान और भविष्य के बारे में सोचकर नीतियां बनाती है, लेकिन पिछली सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण सरकारी उद्यमों को हुए नुकसान को सुधारने के बजाय उन उद्यमों का निजीकरण कर देती है जो पूरी तरह से गलत हैं।
अगर निजीकरण करना है तो उन भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्ट मंत्रियों का किया जाना चाहिए जो सरकारी उद्यम को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रत्येक सरकारी कंपनी में शीर्ष स्तर पर आईएएस होते है और संबंधित मंत्रालय के मंत्री के प्रति जवाबदेह होते है। संबंधित सरकारी कंपनी (PSU आदि) को निजीकरण के कगार पर लाकर उन शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों को किसी अन्य मंत्रालय में सबसे महत्वपूर्ण काम सौंपा जाता है। अगर नुकसान होता है, तो वह सरकारी कंपनी और उसके कर्मचारी और देश का।
पूरी समस्या का कारण भ्रष्टाचार है, जिस पर कोई सरकार काबू नहीं पा सकी है। भ्रष्टाचार पर लगाम न लगा पाना राजनेताओं की सत्ता का लालच है। सरकार बनाने के लिए किसी भी अपराधी प्रवृत्ति के नेता का समर्थन लेने में कोई झिझक नहीं होती और उन्हें मंत्री भी बनाया जाता है. जिसका पूरा अवैध फायदा ज्यादातर आला अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारियों द्वारा खूब उठाया जाता है। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है तो इसकी शुरुआत राजनेताओं से करनी होगी।
मैं जो कुछ भी लिख रहा हूं, अपने 20 साल के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के पूरे सबूत और अनुभव के साथ लिख रहा हूं। अगर सरकार मेरे पिछले आर्टिकल “प्रधानमंत्री ग्रीवेंस सेल में बड़ा भ्रष्टाचार” पर जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुकरणीय कार्रवाई करती है, तो यह सरकार को पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नया सख्त कानून बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जिससे देश तेजी से आगे बढ़ेगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई इतनी आसान नहीं थी, मुझे नौकरी से अवैध रूप से बर्खास्त भी कर दिया गया। मुझे आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। लेकिन मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी।
सरकार को सरकारी कंपनियों का निजीकरण नहीं करना चाहिए, बल्कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर सरकारी कंपनियों को मुनाफा कमाने वाली कंपनी बनने देना चाहिए, ताकि सरकारी कंपनियां देश में बड़ा योगदान दे सकें.
नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं. उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है. लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है. वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं.