क्या आप जानते हैं? आपकी जेब में छुपे मोबाइल एप्स चोरी-छुपे आपकी निजी जानकारी चुरा रहे हैं!

आज हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है और उसमें दर्जनों मोबाइल एप्स। गेमिंग से लेकर सोशल मीडिया, बैंकिंग से लेकर शॉपिंग तक, हर काम के लिए ऐप मौजूद हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मोबाइल एप्स आपके फोन से निजी जानकारी चुरा भी सकती हैं? आपकी लोकेशन, कॉन्टैक्ट लिस्ट, गैलरी, कॉल डिटेल्स, मैसेज और यहां तक कि बैंकिंग डाटा भी इन एप्स के निशाने पर है।

क्या आप जानते हैं? आपकी जेब में छुपे मोबाइल एप्स चोरी-छुपे आपकी निजी जानकारी चुरा रहे हैं!

इस लेख में जानेंगे कैसे एप्स आपकी जानकारी चुराते हैं, किस तरह से वो डेटा बेचते हैं और आप किन तरीकों से अपनी प्राइवेसी को सुरक्षित रख सकते हैं।

मोबाइल एप्स कैसे आपकी जानकारी चुराते हैं?

1. एक्सेस परमिशन के ज़रिए

इंस्टॉल करते वक्त ये ऐप लोकेशन, कैमरा, माइक्रोफोन, गैलरी, कॉन्टैक्ट जैसी परमिशन मांगते हैं। बिना जरूरत के भी कई एप्स ये एक्सेस ले लेते हैं।

2. बैकग्राउंड में डेटा ट्रैकिंग

कई ऐप फोन बंद होने के बाद भी बैकग्राउंड में आपकी एक्टिविटी, लोकेशन और कॉल लॉग ट्रैक करते रहते हैं।

3. डेटा थर्ड पार्टी को बेचना

कुछ फ्री ऐप्स आपकी जानकारी विज्ञापन कंपनियों और थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स को बेच देते हैं।

4. इन-ऐप ट्रैकर्स

गेमिंग और सोशल मीडिया एप्स के इन-ऐप ट्रैकर्स आपकी ऑनलाइन ब्राउज़िंग हिस्ट्री तक ट्रैक करते हैं।

5. फेक ऐप्स

बाजार में कई फर्जी एप्स मौजूद हैं जो बैंकिंग, आधार अपडेट और सरकारी योजना के नाम पर निजी जानकारी चुरा लेते हैं।

किन जानकारियों पर सबसे ज्यादा खतरा?

  • लोकेशन डेटा
  • बैंक अकाउंट और UPI डिटेल्स
  • कॉन्टैक्ट लिस्ट
  • कॉल और SMS लॉग्स
  • गैलरी की फोटो और वीडियो
  • सोशल मीडिया लॉगिन
  • ब्राउज़िंग हिस्ट्री

इनसे होने वाले खतरे

  • ऑनलाइन ठगी और फ्रॉड
  • बैंक अकाउंट से पैसे चोरी
  • ब्लैकमेल और डेटा लीक
  • फेक प्रोफाइल बनाकर सोशल मीडिया पर बदनाम करना
  • साइबर स्टॉकिंग
  • फर्जी कर्ज़ या सिम कार्ड जारी करना

कैसे बचें मोबाइल ऐप्स की जासूसी से?

  1. सिर्फ जरूरत की परमिशन दें।
  2. सुरक्षित और विश्वसनीय ऐप डाउनलोड के लिए हमेशा गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर का ही उपयोग करें।
  3. फ्री ऐप्स से सतर्क रहें।
  4. रिव्यू और डाउनलोड संख्या देखें।
  5. एंटी-वायरस और ऐप परमिशन मैनेजर का इस्तेमाल करें।
  6. हर 15 दिन में ऐप्स की परमिशन सेटिंग चेक करें।
  7. जरूरत न हो तो लोकेशन, कैमरा, माइक्रोफोन बंद रखें।
  8. साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत करें।

निष्कर्ष

स्मार्टफोन हमारी ज़िंदगी का हिस्सा है, लेकिन उसकी प्राइवेसी हमारी जिम्मेदारी। मोबाइल ऐप्स कब, कैसे और क्या-क्या एक्सेस कर रहे हैं, इसकी जानकारी रखना जरूरी है। सतर्क रहकर, ऐप्स की परमिशन सीमित करके और समय-समय पर सिक्योरिटी सेटिंग अपडेट कर हम अपनी डिजिटल ज़िंदगी को सुरक्षित रख सकते हैं।

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