ई-कॉमर्स कंपनियों की चालाकियां: कैसे ऑनलाइन शॉपिंग में आप अनजाने में ज़्यादा खर्च कर बैठते हैं?

ई-कॉमर्स ने खरीदारी का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। अब लोग घर बैठे एक क्लिक में अपनी पसंद की चीज़ें मंगवा सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी हर खरीदारी के पीछे कई ऐसी तरकीबें छिपी होती हैं, जो आपको अनजाने में ज़्यादा खर्च करने पर मजबूर कर देती हैं। ये तरकीबें इतनी चालाकी से प्लान की जाती हैं कि ग्राहक को पता तक नहीं चलता।

ई-कॉमर्स कंपनियों की चालाकियां: कैसे ऑनलाइन शॉपिंग में आप अनजाने में ज़्यादा खर्च कर बैठते हैं?

आज हम ऐसे ही ई-कॉमर्स कंपनियों के 10 सबसे बड़े मनोवैज्ञानिक और तकनीकी हथकंडों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

  • Flash Sale और Countdown Timer का जाल
    ई-कॉमर्स साइट्स पर अक्सर ‘अभी खरीदें, स्टॉक खत्म होने वाला है’ या ‘5 मिनट में ऑफर खत्म’ जैसे मैसेज दिखाए जाते हैं। इससे ग्राहक में डर पैदा होता है कि अगर उसने तुरंत नहीं खरीदा, तो अच्छा ऑफर हाथ से निकल जाएगा। हकीकत में ये टाइमर कभी-कभी महज़ एक ट्रिक होता है।
  • Limited Stock का भ्रम
    कई बार दिखाया जाता है — ‘सिर्फ 2 पीस बचे हैं’ — जबकि स्टॉक भरा रहता है। इससे ग्राहक डरकर तुरंत ऑर्डर कर देता है।
  • Cross Selling और Upselling के जाल
    जब आप कोई प्रोडक्ट अपने कार्ट में डालते हैं, तो ‘आपके लिए और भी प्रोडक्ट्स’ या ‘इसे भी लें’ के सुझाव आने लगते हैं। यही नहीं, कई बार महंगे वर्ज़न (Upsell) भी सुझाए जाते हैं।
  • Free Delivery के बहाने ज्यादा खर्च करवाना
    अक्सर ‘₹500 के ऊपर फ्री डिलीवरी’ का ऑफर दिखता है। कई बार हम ₹350 की चीज़ खरीदने के बाद ₹200 की गैरज़रूरी चीज़ सिर्फ डिलीवरी बचाने के लिए खरीद लेते हैं।
  • बंडल ऑफर की चालाकी
    दो या तीन प्रोडक्ट का पैकेज सस्ता बताकर बेचा जाता है। लेकिन कभी-कभी अलग-अलग खरीदना सस्ता पड़ता है।
  • Anchor Pricing का भ्रम
    किसी प्रोडक्ट पर पहले उसकी असली कीमत ₹4999 दिखाई जाती है और फिर उसे ₹1999 में देने का दावा किया जाता है। इससे ग्राहक को लगता है कि बहुत बड़ा डिस्काउंट मिला, जबकि असल में प्रोडक्ट की मार्केट वैल्यू ही ₹1999 होती है।
  • Limited Time Deals का Psychological Pressure
    आज ही ऑफर जैसे टैग ग्राहकों को तुरंत निर्णय लेने पर मजबूर कर देते हैं, जिससे वो बिना ज़रूरत चीज़ें भी खरीद लेते हैं।
  • कस्टमर रिव्यू के फर्जी खेल
    ई-कॉमर्स साइट्स पर कई बार प्रोडक्ट की तारीफ भरे नकली रिव्यू डाले जाते हैं ताकि ग्राहक प्रभावित होकर सामान खरीद ले।
  • फ्री गिफ्ट का लालच
    कई बार खरीदारी पर ‘फ्री गिफ्ट’ का ऑफर दिया जाता है, लेकिन इसके लिए ज़रूरी खरीदारी की राशि इतनी बढ़ा दी जाती है कि ग्राहक जरूरत से ज्यादा चीजें खरीद लेता है।
  • ईमेल और नोटिफिकेशन का असर
    ई-कॉमर्स साइट्स बार-बार ऑफर वाले ईमेल और नोटिफिकेशन भेजती हैं, ताकि ग्राहक लॉगइन करे और कुछ खरीद ही ले।

बचाव के उपाय

👉 अपनी ज़रूरत की ही खरीदारी करें।
👉 फेक रिव्यू पर भरोसा न करें।
👉 प्राइस कंपैरिजन ज़रूर करें।
👉 टाइमर और लिमिटेड स्टॉक से न घबराएं।

निष्कर्ष

ऑनलाइन शॉपिंग भले ही सुविधाजनक है, लेकिन इसमें छिपे इन मनोवैज्ञानिक हथकंडों को पहचानना ज़रूरी है। अगली बार खरीदारी करते समय इन ट्रिक्स को याद रखें और अपने पैसे और निर्णय दोनों पर कंट्रोल रखें।

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