इसमें कोई शक नहीं कि मीडिया किसी भी देश का स्तम्भ होता है, जो देश-विदेश के हर क्षेत्र की जानकारी हम तक पहुंचाता है। देश के सिस्टम को सुधारने में मीडिया की बड़ी भूमिका होती है।
हर देश में अलग-अलग मंत्रालय बनाए गए हैं। हर मंत्रालय में लोगों की समस्या के समाधान के लिए ग्रीवेंस रेड्रेसल सेल स्थापित किए गए हैं, जहां लाखों ग्रीवेंस दर्ज होते हैं। ग्रीवेंस रेड्रेसल सेल को एक निर्दिष्ट समय सीमा तक ग्रीवेंस का निवारण करना होता है। ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि ग्रीवेंस पोर्टल में ग्रीवेंस का निपटारा समय से किया जाता है। वास्तव में, अधिकांश शिकायतकर्ता अपनी ग्रीवेंस के निपटारे से संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि उनके ग्रीवेंस को कोई गलत कारण दे कर बंद कर दिया जाता है। ग्रीवेंस क्या है?
जब संबंधित ग्रीवेंस रेड्रेसल सेल में शिकायतकर्ता के ग्रीवेंस का समाधान नहीं होता है, तो शिकायतकर्ता सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की मदद से अपनी ग्रीवेंस की सच्चाई को सामने लाने की कोशिश करता है। जब सीपीआईओ और एफएए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पूरी जानकारी नहीं देते हैं। तब दूसरी अपील केन्द्रीय सूचना आयोग में की जाती है जहाँ मेरे वर्तमान अनुभव के अनुसार केन्द्रीय सूचना आयोग में सुनवाई होने में दो वर्ष से अधिक का समय लग रहा है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है?
हमारे देश में, अदालतों में लंबित मामलों के बारे में हर व्यक्ति जानता है, जहां समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं। उसी डर के कारण बहुत कम लोग कोर्ट में केस लड़ने की हिम्मत कर पाते हैं, जो हमारे सिस्टम के लिए बहुत घातक है। इससे भ्रष्ट लोगों का उत्साह बढ़ता है, जिससे देश में अपराध, गरीबी आदि को बढ़ावा मिलता है।
जब भी किसी ग्रीवेंस की सच्चाई मीडिया के सामने आती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाती है और शिकायतकर्ता को तुरंत न्याय मिलता है। हमारे देश में अधिकांश नेताओं, सरकारी अधिकारियों आदि का दोहरा मापदंड है, जिसे मीडिया के सामने उजागर करके ही तत्काल समाप्त किया जा सकता है और शिकायतकर्ता को तुरंत न्याय दिया जा सकता है।
हमारे देश में, शिकायतकर्ता की ज्यादातर खबरें उसकी हत्या के बाद या वर्षों तक प्रताड़ित होने के बाद ही बनती हैं। समाचार चैनलों द्वारा प्रत्येक शिकायतकर्ता की शिकायतों को उनके वर्तमान कार्य वातावरण के अनुसार स्वीकार करना संभव नहीं है। सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए और मीडिया को प्रतिवादी सरकारी अधिकारियों और नेताओं के दोहरे मापदंड को उजागर करने में मदद करनी चाहिए। हर शिकायतकर्ता की शिकायतों पर विचार करके और भ्रष्ट अधिकारी को मीडिया के सामने लाने से हमारा सिस्टम पूरी तरह से सुधर सकता है।
नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं. उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है. लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है. वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं.