आज के दौर में मेडिकल खर्च दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस एक जरूरी सुरक्षा कवच बन चुका है। लेकिन कई लोग हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के बाद यह समझ नहीं पाते कि इसमें वेटिंग पीरियड क्या होता है और क्लेम कैसे किया जाता है। अगर आप भी इस विषय में पूरी जानकारी चाहते हैं तो ये लेख आपके लिए है।
वेटिंग पीरियड क्या होता है?
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड वह समय होता है, जब पॉलिसीधारक बीमा लेने के बावजूद कुछ खास बीमारियों और इलाज का क्लेम नहीं कर सकता। यानी पॉलिसी एक्टिव तो हो जाती है, लेकिन कुछ कंडीशन्स के लिए कुछ समय तक इंतजार करना पड़ता है।

वेटिंग पीरियड के प्रकार:
- इनिशियल वेटिंग पीरियड:
हेल्थ पॉलिसी लेने के बाद शुरुआती 30 दिन तक किसी भी बीमारी का क्लेम नहीं किया जा सकता। सिर्फ दुर्घटना (Accident) की स्थिति में ही क्लेम मान्य होता है। - प्रि-एक्सिस्टिंग डिजीज वेटिंग पीरियड:
यदि किसी व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी है, तो उसके इलाज का खर्च पॉलिसी में 2-4 साल के वेटिंग पीरियड के बाद ही कवर किया जाता है। - स्पेसिफिक डिजीज वेटिंग पीरियड:
कुछ खास बीमारियों जैसे हर्निया, गठिया, टॉन्सिल, मोतियाबिंद आदि के लिए 1-2 साल का वेटिंग पीरियड तय किया जाता है। - मैटरनिटी बेनिफिट वेटिंग पीरियड:
अगर पॉलिसी में मैटरनिटी कवर है, तो उसके लिए 9-36 महीनों तक का वेटिंग पीरियड होता है।
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें?
हेल्थ इंश्योरेंस में क्लेम दो तरीकों से किया जा सकता है:
- कैशलेस क्लेम:
- अस्पताल में भर्ती होने पर इंश्योरेंस कंपनी की नेटवर्क हॉस्पिटल लिस्ट में से किसी हॉस्पिटल का चुनाव करें।
- अस्पताल में बीमा कार्ड दिखाकर कैशलेस क्लेम की सुविधा लें।
इंश्योरेंस कंपनी और अस्पताल के बीच बिल सेटलमेंट हो जाता है।
- री-इंबर्समेंट क्लेम:
- किसी नॉन-नेटवर्क हॉस्पिटल में इलाज कराने पर पहले सारा खर्च खुद वहन करें
- इलाज के बिल, रिपोर्ट और डिस्चार्ज समरी जमा कर इंश्योरेंस कंपनी से री-इंबर्समेंट क्लेम करें।
क्लेम करते समय ध्यान देने योग्य बातें:
- पॉलिसी डॉक्युमेंट्स और बीमा कार्ड हमेशा साथ रखें।
- अस्पताल में भर्ती होते ही TPA (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) को सूचित करें।
- सभी मेडिकल बिल और रिपोर्ट्स सुरक्षित रखें।
- सही और सटीक जानकारी फॉर्म में भरें।
- वेटिंग पीरियड की शर्तें ध्यान में रखें।
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान रखें:
- पॉलिसी लेते समय वेटिंग पीरियड को अच्छी तरह पढ़ें।
- प्रि-एक्सिस्टिंग डिजीज की जानकारी छुपाएं नहीं।
- क्लेम प्रोसेस और नेटवर्क हॉस्पिटल की जानकारी जरूर लें।
- पॉलिसी का कवरेज, क्लेम सेटलमेंट रेशियो और कंपनी की साख जांच लें।
निष्कर्ष:
हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ एक पॉलिसी नहीं, बल्कि मुसीबत के वक्त का भरोसा है। लेकिन इसे लेने से पहले उसकी शर्तें, वेटिंग पीरियड और क्लेम प्रक्रिया को अच्छी तरह समझना बेहद जरूरी है। सही जानकारी होने पर आप न सिर्फ सही पॉलिसी चुन पाएंगे, बल्कि जरूरत पड़ने पर उसका लाभ भी समय पर ले सकेंगे।
इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि वे भी जागरूक रहें।

नरेन्द्र सिंह इस वेबसाइट के संस्थापक हैं। उन्हें होटल इंडस्ट्री का अच्छा खासा अनुभव है। लोगो को अपने लेख द्वारा समाज में चल रही बुराइयों से सजग करने और उससे बचने के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने होटल इंडस्ट्री के अपने 18 साल के करियर को स्विच कर अपने पसंदीदा और रूचि के करियर मीडिया में प्रवेश किया है। वह न केवल सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग करते हैं, अपितु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग कर सामाजिक बुराइयों को उजागर कर, दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को सूचित करते हैं।