भारत और विदेशों में साइबर इंश्योरेंस क्यों बन रहा है अगली बड़ी जरूरत?

परिचय

आज के डिजिटल युग में साइबर खतरों का तेजी से बढ़ना हर व्यक्ति और व्यवसाय के लिए चिंता का विषय बन गया है। मल्टीनेशनल कंपनियों से लेकर छोटे व्यवसाय और आम नागरिक तक, कोई भी साइबर हमलों से सुरक्षित नहीं है। 2024 में वैश्विक स्तर पर साइबर हमलों में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें लाखों लोगों और संगठनों को नुकसान पहुंचा। भारत भी इस खतरे से अछूता नहीं रहा। ऐसे समय में एक सुरक्षित विकल्प के रूप में साइबर इंश्योरेंस की मांग तेजी से बढ़ी है।

भारत और विदेशों में साइबर इंश्योरेंस क्यों बन रहा है अगली बड़ी जरूरत?

इस लेख में हम जानेंगे कि भारत और दुनिया में साइबर इंश्योरेंस क्यों जरूरी होता जा रहा है, इसके क्या लाभ हैं, किस प्रकार का कवरेज मिलता है और इसका भविष्य कैसा दिखता है।

साइबर इंश्योरेंस क्या है?

साइबर इंश्योरेंस एक विशेष प्रकार की बीमा पॉलिसी है जो साइबर हमलों, डेटा चोरी और अन्य ऑनलाइन खतरों से होने वाले वित्तीय नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है। इसमें सिस्टम बहाली, कानूनी खर्च, ग्राहकों को सूचित करने का खर्च और प्रतिष्ठा प्रबंधन जैसी सेवाएं शामिल होती हैं।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा

आज के दौर में साइबर अपराध साधारण फिशिंग हमलों से आगे बढ़कर जटिल रैनसमवेयर अटैक्स तक पहुँच चुके हैं। CERT-IN की डिजिटल थ्रेट रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में रैनसमवेयर हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, जिनमें छोटे और मध्यम व्यवसाय (SMEs), स्वास्थ्य, BFSI और विनिर्माण क्षेत्र विशेष रूप से निशाने पर रहे।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हमलावर उन्नत टूल व तकनीकों का इस्तेमाल कर संवेदनशील डाटा को एन्क्रिप्ट कर फिरौती की माँग कर रहे हैं। इसके साथ ही CERT-IN ने व्यवसायों और नागरिकों को मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, नियमित डेटा बैकअप, सॉफ़्टवेयर अपडेट और संदिग्ध लिंक से सतर्क रहने जैसी सावधानियाँ अपनाने की सलाह भी दी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Marriott International और Capital One जैसी कंपनियां डेटा ब्रीच का शिकार हुईं, जिससे उन्हें सैकड़ों मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

साइबर इंश्योरेंस में क्या-क्या कवर होता है?

साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी सामान्यतः निम्नलिखित कवरेज देती है:

  • डेटा ब्रीच खर्च: जांच, कानूनी शुल्क और ग्राहकों को सूचना देने का खर्च।
  • व्यापारिक गतिविधि में रुकावट: संचालन ठप होने पर आय की क्षतिपूर्ति।
  • रैनसमवेयर और जबरन वसूली: डेटा वापस पाने के लिए साइबर अपराधियों को दी जाने वाली राशि।
  • कानूनी दायित्व: मुकदमेबाजी और नियामक जुर्माना।
  • प्रतिष्ठा प्रबंधन: पीआर अभियान का खर्च।

भारत में साइबर इंश्योरेंस की लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है?

  • डिजिटल इंडिया अभियान: इंटरनेट और डिजिटल लेनदेन में वृद्धि।
  • साइबर खतरों में इजाफा: ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी, डेटा लीक और ई-कॉमर्स स्कैम।
  • नियमकीय प्रोत्साहन: RBI और IRDAI साइबर जोखिम प्रबंधन को अपनाने की दिशा में संगठनों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

भारत में ICICI Lombard और HDFC ERGO जैसी प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियां भी अब साइबर इंश्योरेंस योजनाएं उपलब्ध करा रही हैं, जो व्यक्तिगत उपभोक्ताओं और व्यवसायों को ऑनलाइन खतरों, डेटा चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार की गई हैं। इन योजनाओं में पहचान की चोरी, रैनसमवेयर हमले, साइबर उत्पीड़न और डेटा रिकवरी जैसी स्थितियों के लिए भी व्यापक कवरेज शामिल होता है।

विश्व में साइबर इंश्योरेंस की मांग

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा और बीमा नीतियों को पहले से कहीं अधिक गंभीरता से लिया जा रहा है। अमेरिका में, सार्वजनिक कंपनियों के लिए साइबर हमलों या डेटा उल्लंघनों की रिपोर्टिंग अब SEC के नए नियमों के तहत अनिवार्य हो चुकी है। यूरोप और ब्रिटेन में भी कंपनियों को साइबर घटनाओं की सूचना नियामक एजेंसियों को देने के लिए सख्त नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ता है।

प्रमुख वैश्विक साइबर इंश्योरेंस प्रदाता:

  • AIG
  • Chubb
  • Beazley
  • Allianz

साइबर इंश्योरेंस बाजार का भविष्य

वैश्विक साइबर इंश्योरेंस बाजार 2024 में लगभग $16.6 बिलियन के स्तर पर था, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह 2030 तक $40 बिलियन तक पहुंच सकता है। भारत में, यह बाजार 2024 में लगभग ₹4,800 करोड़ का था, और 2027 तक इसके ₹57,000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

प्रमुख कारक:

  • एआई आधारित साइबर हमले
  • क्लाउड कंप्यूटिंग खामियां
  • रिमोट वर्क कल्चर
  • डेटा सुरक्षा कानूनों, जैसे कि भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023, ने कंपनियों के लिए डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता बना दिया है, जिससे साइबर इंश्योरेंस की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

क्या आम व्यक्ति को भी साइबर इंश्योरेंस लेना चाहिए?

बिल्कुल। डिजिटल वॉलेट, ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ आम नागरिक भी वित्तीय और पहचान चोरी के शिकार हो सकते हैं।

व्यक्तिगत लाभ:

  • वित्तीय धोखाधड़ी सुरक्षा
  • पहचान चोरी कवरेज
  • डेटा बहाली सहायता
  • ऑनलाइन उत्पीड़न में कानूनी सहायता

निष्कर्ष

आज के आपस में जुड़े डिजिटल दुनिया में साइबर इंश्योरेंस अब कोई विलासिता नहीं बल्कि आवश्यकता बन गई है। बढ़ते साइबर खतरों और वित्तीय नुकसान को देखते हुए, साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी लेना हर व्यवसाय और व्यक्ति के लिए मानसिक शांति का साधन है।

जैसे-जैसे भारत एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, साइबर इंश्योरेंस में निवेश डिजिटल आपदाओं से सुरक्षा देने में अहम भूमिका निभाएगा।