भारत के हर नागरिक को पता होने चाहिए ये 5 कानूनी अधिकार, वरना कोई भी बना सकता है उल्लू!

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को संविधान और नए आपराधिक कानूनों द्वारा कुछ अधिकार दिए गए हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि देश की बड़ी आबादी को अपने मौलिक और कानूनी अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती। इसी वजह से कोई भी चालाक व्यक्ति, अधिकारी या कर्मचारी उन्हें आसानी से गुमराह कर सकता है। इस लेख में हम आपको उन 5 अहम कानूनी अधिकारों के बारे में बताएंगे, जिनकी जानकारी हर भारतीय नागरिक को ज़रूर होनी चाहिए।

भारत के हर नागरिक को पता होने चाहिए ये 5 कानूनी अधिकार, वरना कोई भी बना सकता है उल्लू!

1️⃣ पुलिस थाने में FIR दर्ज कराना आपका अधिकार है

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) की धारा 173 के अनुसार:

  • आप किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में दे सकते हैं।
  • पुलिस अधिकारी को इस सूचना को लिखित में लेकर शिकायतकर्ता को पढ़कर सुनानी होगी और उस पर हस्ताक्षर करवाने होंगे।
  • इलेक्ट्रॉनिक सूचना दी गई हो तो तीन दिनों के भीतर हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
  • सूचना दर्ज होते ही शिकायतकर्ता को नि:शुल्क लिखित प्रति देनी होगी।

यदि पुलिस FIR दर्ज करने से मना करती है, तो लिखित शिकायत उच्च अधिकारियों को भेजकर कार्रवाई की मांग की जा सकती है, और अगर फिर भी निष्क्रियता बनी रहे तो मजिस्ट्रेट से न्याय की गुहार लगाई जा सकती है।

2️⃣ बिना वारंट गिरफ्तारी के नियम (BNSS 2023 की धारा 35)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) की धारा 35 के अनुसार पुलिस कुछ विशेष परिस्थितियों में ही बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। सामान्य स्थिति में गिरफ्तारी के लिए वारंट की ज़रूरत होती है। लेकिन निम्नलिखित मामलों में बिना वारंट गिरफ्तारी की जा सकती है:

  • यदि कोई व्यक्ति संज्ञेय अपराध करते हुए पकड़ा जाए।
  • अगर पुलिस को भरोसेमंद जानकारी या संदेह हो कि उस व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है, जिसकी सजा 7 साल या उससे अधिक हो सकती है।
  • ऐसे अपराधों में भी, जिनकी सजा 7 साल से कम है, अगर आरोपी के भागने, सबूत मिटाने या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका हो।
  • यदि व्यक्ति चोरी की वस्तु रखता हुआ पाया जाए या किसी अपराध की योजना बनाता हुआ मिले।
  • पुलिस को अगर यह विश्वास हो कि बिना गिरफ्तारी के जांच या न्याय प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
  • यदि आरोपी को पहले नोटिस दिया गया हो और वह बिना कारण अनुपस्थित हो।
  • 60 वर्ष से अधिक उम्र के, या बीमार व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए उच्च अधिकारी की अनुमति अनिवार्य है।

3️⃣ मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार

यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तो आपको मुफ़्त सरकारी वकील मिल सकता है।
कहाँ संपर्क करें:

  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA)
  • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA)
  • नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA)

कानूनी आधार: संविधान का अनुच्छेद 39A

4️⃣ आपातकालीन स्थिति में मरीज का इलाज तुरंत किया जाना अनिवार्य है

आपातकालीन स्थिति में मरीज का इलाज तुरंत किया जाना अनिवार्य है, पैसे की अनुपलब्धता के आधार पर इलाज रोका नहीं जा सकता। इलाज मुफ्त होगा या नहीं — ये स्थिति पर, अस्पताल की नीतियों और सरकार की स्कीमों पर निर्भर करता है।

कानूनी आधार: सुप्रीम कोर्ट का पाश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति बनाम पश्चिम बंगाल राज्य केस (1996)

5️⃣ ग्राहक के रूप में अधिकार

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत:

  • सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद का अधिकार
  • खराब उत्पाद पर मुआवजा
  • भ्रामक विज्ञापन पर शिकायत करने का अधिकार

कानूनी आधार: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019

निष्कर्ष:

इन 5 अधिकारों को जानना हर भारतीय का फर्ज़ है। इससे कोई भी सरकारी या प्राइवेट संस्था आपको बेवजह परेशान नहीं कर सकती। इस लेख को शेयर करें ताकि हर कोई जागरूक बने।

Disclaimer:

यह लेख केवल सामाजिक जागरूकता और जानकारी के लिए है। इसका उद्देश्य किसी संस्था या व्यक्ति को अपमानित करना नहीं है।